मनुष्य को ज्ञात सबसे प्राचीन शास्त्रों में वेद शीर्ष पर आते हैं और वेदान्त वैदिक सार का परम शिखर है। शास्त्रीय रूप से उपनिषद्, ब्रह्मसूत्र और श्रीमद्भगवद्गीता वेदान्त के तीन स्तम्भ माने जाते हैं, जिनको प्रस्थानत्रयी भी कहा जाता है। वेदान्त के सूत्र मात्र दार्शनिक चिन्तन का विषय नहीं हैं, वे हमारे जीवन की बात करते हैं। चाहे हमारी व्यक्तिगत परेशानियाॅं हों या वैश्विक समस्याऍं, वेदान्त हमें व्यक्ति और संसार के सच से परिचित करवाता है और उसका समाधान भी देता है। शताब्दियों से मनुष्य अनेक छोटे बड़े प्रश्नों को सुलझाने की कोशिश करते रहे हैं लेकिन उनमें केंद्रीय प्रश्न रहा है – 'मैं कौन हूँ?' इस मूल प्रश्न का अंतिम समाधान हमें वेदान्त में ही मिलता है। प्रत्येक व्यक्ति मुक्ति के लिए पूरा जीवन यत्न करता है लेकिन और बंधनों में ही फँसता चला जाता है। वेदान्त की शिक्षा हमें बताती है कि हमारा मूल बंधन क्या है और उससे मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करती है। सिर्फ़ भारत ही नहीं, विश्व के अनेक संतों, विचारकों, कवियों, वैज्ञानिकों ने वेदान्त की महिमा को सराहा है और उससे प्रेरणा पाई है। भारत ने दुनिया को जो अमूल्य उपहार दिया है वो आत्मा है, और यह वेदान्त की ही देन है। आचार्य प्रशांत ने 'वेदान्त' में जीवन के गूढ़ रहस्य और उनसे जुडी हुई भ्रांतियों पर सरल शब्दों में विस्तृत व्याख्या की है।
Author(s): Acharya Prashant
Publisher: PrashantAdvait Foundation
Year: 2020
Language: Hindi
Pages: 203
1. उपनिषद् क्या हैं?
2. उपनिषदों का व्यापक महत्व
3. वेदान्त ही सनातन धर्म है
4. संस्कृति व धर्म
5. वेदान्त के प्रमुख सूत्र
6. १०८ उपनिषदों की सूची
7. मन: हज़ार जुनून, एक सुकून
8. दस जगहों पर भटक रहा है मन?
9. मन पर क़ाबू कैसे पाएँ?
10. चेतना के चार तल
11. समझो तो कि चाहिए क्या
12. अपनी सच्चाई जानने के तरीक़े
13. वृत्तियाँ क्या होती हैं?
14. वृत्तियों के ज़ोर को कैसे कम करूँ?
15. इंसान के छः दुश्मन
16. एक ठसक, एक आग होनी चाहिए
17. आत्म-साक्षात्कार का झूठ
18. प्रकृति और पुरुष क्या हैं?
19. अगले जन्म में क्या बनेंगे आप?
20. पाँच नाम बेहोशी के
21. तीन ग़लतियाँ जो सब करते हैं
22. आत्मा: दस सवाल, अंतिम जवाब
23. आत्मा परमात्मा जीवात्मा - एक हैं? अलग हैं?
24. ब्रह्म सच है - न देवता, न ईश्वर, न भगवान
25. कल्पना, और कल्पना से आगे
26. मुक्ति माने क्या?
27. अहम् ब्रह्मास्मि
28. तत्त्वमसि
29. प्रज्ञानं ब्रह्म
30. अयं आत्मा ब्रह्म
31. एकमेवाद्वितीयं ब्रह्म
32. सोऽहं
33. सर्वं खल्विदं ब्रह्म
34. एतद् वै तत्
35. नायमात्मा बलहीनेन लभ्यो